आजादी से पहले और इसके बाद के तमिलनाडु में पेरियार का गहरा प्रभाव रहा है और राज्य के लोग इनका कही अधिक सम्मान करते हैं . उनके अनुयायियों ने वैवाहिक अनुष्ठानों को चुनौती दी , शादी के निशान के रुप में मंगलसूत्र पहनने का विरोध किया. उन्हें एक महिला सम्मेलन में ही पेरियार की उपाधि प्रदान की गई. पेरियार ब्राह्मणों के वर्चस्व को तोड़ना और जाति प्रथा ,ऊंच नीच को खत्म करना चाहते थे. हिंदु धर्म में अंधविश्वास और भेदभाव की वैदिक जड़ों को कटना ही उनका उद्देश्य था .
इरोड वेंकट नायकर रामासामी (17 सितम्बर, 1879-24 दिसम्बर, 1973) जिन्हे पेरियार (तमिल में अर्थ -सम्मानित व्यक्ति) नाम से भी जाना जाता था, बीसवीं सदी के तमिलनाडु के एक प्रमुख राजनेता व दलित शोषित, गरीबों के मसीहा थे। इन्होंने जस्टिस पार्टी का गठन किया जिसका सिद्धान्त जातिवादी व गैर बराबरी वाले हिन्दुत्व का विरोध था।
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